My Musings
Saturday, May 1, 2010
मई दिवस
आज मई दिवस पर एक कविता की पंक्तियाँ याद आ रही हैं -
ओ मजदूर
ओ मजदूर
तू ही सब चीज़ों का कर्ता
तू ही सब चीज़ों से दूर
ओ मजदूर ..........!
और साथ ही निराला की कविता
" वह तोड़ती पत्थर " भी .
1 comment:
हरकीरत ' हीर'
May 1, 2010 at 11:04 AM
तू ही सब चीज़ों से दूर
ओ मजदूर ..........!
mazdoor tujhe slaam .....!!
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तू ही सब चीज़ों से दूर
ReplyDeleteओ मजदूर ..........!
mazdoor tujhe slaam .....!!