आज कवि लेखक, साहित्यकार डा. हरिवंशराय बच्चन की जयंती है .उत्तर छायावाद
के प्रमुख कवि और हालावाद के एक प्रणेता होने के साथ साथ हिन्दी गद्य
साहित्य में भी उनका एक अलग स्थान है.मधुशाला, मधुबाला और मधुकलश की त्रयी
से रचना कर्म आरंभ करने के उपरांत उन्होंने अनेकों कविताएं लिखीं. चार
भागों में लिखी उनकी आत्मकथा ने हिन्दी गद्य साहित्य में नए प्रतिमान
स्थापित किए .कैंब्रिज विश्वविद्यालय से अङ्ग्रेज़ी साहित्य में पी.एचडी
हासिल करने वाले दूसरे भारतीय होने का गौरव भी उन्हें प्राप्त है
1935 से ले कर 1985 तक पाँच दशकों की सृजन यात्रा में, कविता, गद्य ,
आलोचना, निबंध , अनुवाद आदि का बृहद साहित्य संसार रचने वाले इस महान लेखक
कवि को साहित्य अकादमी पुरस्कार, सोवियत लैंड पुरस्कार, लोटस अवार्ड,
सरस्वती सम्मान यहाँ तक कि पद्मभूषण से भी सम्मानित किया गया.दो बार
राज्यसभा के सदस्य भी रहे . परंतु फिर भी लगता है कि हिन्दी साहित्य जगत
में अभी उनका मूल्यांकन उस तरह से नहीं हो पाया जैसा कि अपेक्षित था .
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