Tuesday, May 17, 2011

जन-सेवा बनाम जन-सेवक

न तन सेवा न मन सेवा

न जीवन और धन सेवा

मुझे है ईष्ट जन सेवा

यही सच्ची भुवन सेवा

( अज्ञात )

सुनते हैं लीडरी की अजब आन बान है

जन सेवक आप किन्तु नवाबों सी शान है

नौकर हैं , चाकर हैं, बंगला है , लान है

देखें कि टोंड मिल्क में कैसा उफान है

घूमते हैं अब तो आपके कुत्ते भी कार में

लगता नहीं है जी मेरा उजड़े दयार में

( अज्ञात )

1 comment:

  1. .

    Beautifully portrayed the image of politicians in these lines.

    It's really unfortunate to see these politicians with dogs in their cars but so insensitive towards the poor and downtrodden.

    .

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