इस बार 15 अगस्त को मूड काफी अपसेट था । कुछ भी तो नहीं था कि भारतवासी होने पर कुछ गर्व किया जा सके। घोटाले , भ्रष्टाचार, क्रिकेट में इंग्लैंड के हाथों पिटना आदि जैसी कुछ बातों से अत्यधिक निराशा थी । ऐसे में सुबह समाचार पत्रों में डा. टी डी एस ‘आलोक’ के देहावसान का दुखद समाचार पढ़ने को मिला। हिमाचल प्रदेश के ज़िला कुल्लू की आनी तहसील के अंतर्गत दलाश क्षेत्र से संबंध रखने वाले डा. आलोक से मेरा परिचय लगभग 31-32 वर्ष पूर्व अपने जीजाजी के माध्यम से उन्हीं के घर पर हुआ था । प्रत्यक्षत: साहित्यिक अभिरुचि ही उन दोनों की मित्रता का आधार थी । उस समय आलोक जी शिमला में ही एक निजी स्कूल में अध्यापक थे तथा मुझसे उनका परिचय ठाकुर दत्त शर्मा के रूप में कराया गया था । परिचय एवं प्रथम मुलाक़ात में ही उनसे आत्मीयता हो गयी थी। उनका स्वभाव ही कुछ ऐसा था कि सहज ही दूसरों को अपना बना लेते थे ।
कार्यक्षेत्र व कार्यस्थली भिन्न होने के कारण बीच में कई वर्षों के लिए उनसे संपर्क कुछ टूट सा गया था परंतु आत्मीयता में कोई कमी नहीं आई . एक स्कूल अध्यापक से आरंभ हुआ उनका सफर , जो लोक संपर्क विभाग की समाचार पत्रिका गिरिराज के सम्पादन से होता हुआ हिमाचल प्रदेश विश्व विद्यालय में पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष के पद पर समाप्त होता है , निरंतर संघर्ष की गाथा है । यह सब पाने के लिए नौकरी के साथ साथ शैक्षणिक योग्यता प्राप्त करना जो कि पी. एच डी पर समाप्त होती है , अपने आप में कम उपलब्धि नहीं !
मुझे जिस चीज़ ने सबसे अधिक प्रभावित किया वह थी उनके व्यक्तित्व की सरलता । ज्ञान , विद्वत्ता का कोई आडंबर नहीं , (जब कि एलेक्ट्रोनिक मीडिया पर लिखी उनकी पुस्तक भी पुरस्कृत हो चुकी थी ) और न ही इन सबसे उपजा हुआ कोई बोझ। जब भी मिलते बड़े प्यार से मिलते । मज़ाक में मैं कभी कभी उन्हें ‘ टीडीयस ’ भी कह देता , मज़ाक में कमी उनकी ओर से भी न रहती ।
नियति के हाथों एक अच्छा मित्र खो देने का अत्यधिक दुख है ।
अब केवल यादें ही बची हैं।
सरलता किसका मन नहीं मोहती ? मुझे तो आपका व्यक्तित्व भी अत्यंत सरल और स्नेही लगता है। मित्र खोने का दुःख समझ सकती हूँ। उन्हें मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteThanks Zeal !
ReplyDeletefor the present let me quote John Donne :
" No man is an island, entire of itself
---------------------------------------
--------------------------------------
any man's death diminishes me, because I am involved in mankind....................................."
----- more so ,when he happens to be a friend !
Sad to hear about this wonderful personality and your homage to him. I guess there are so many inspirational figures around us.
ReplyDeleteits really painful when our dear ones leave us from this world..but this is what life is all about....
ReplyDeleteजीवन और इस दुनिया में आना जाना तो लगा ही रहेगा ! जाने वाले के कर्म यहाँ रह जाते है और हमारे पास उनकी समधुर यादें ! उनको मेरी श्रधांजलि !
ReplyDelete