सुबह उठते ही धर्मपत्नी का फरमान ‘ तंग भी आ जाती हूँ एक ही रूटीन से। आज खाना कहीं बाहर खाएंगे’। अब मेरे पास मना करने का न कोई कारण है न कोई दलील, सारा काम वही तो करती है । मैं हामी भर देता हूँ मन ही मन सोचते हुए कि कुछ अलग तो मुझे भी चाहिए ।बस मैं उसे मेरे लिए नाश्ता बनाने के लिए कहता हूँ क्योंकि वो नाश्ता नहीं brunch ही करती है । इसके बाद रोज़ के कार्य का निबटारा होता है जिसमे साफ सफाई, स्नान और पूजा आदि शामिल हैं । HRTC की टैक्सी जिस पर Ride With Pride लिखा रहता है और जो प्राइवेट टैक्सी से लगभग 1/6 किराए पर सीधा मॉल पर ले जाती है ही एक मात्र विकल्प है । दोपहर में वही टैक्सी हमें मॉल पर पहुंचा देती है । मुझे तसल्ली इस बात की है कि लंच का मतलब लंच ही होने वाला है क्योंकि her highness का पसंदीदा रेस्तरां Baljee’s बंद हो चुका है जहां इडली दोसे पर ही अपनी सुई अटकती थी । शाकाहारी होने के नाते रेस्तरां या ढाबे के विकल्प बहुत कम हैं इसलिए मिडिल बाज़ार में ‘Gupta jee’ के जाना होता है । शुद्ध शाकाहारी खाना मिलता है और गुणवत्ता के लिहाज़ से rated भी है । खैर अपनी पसंद का लंच हम दोनों करते हैं और तृप्ति अनुभव करते हुए बाहर निकल कर सीढ़ियाँ चढ़ मॉल पर आ जाते हैं ।
कई दिन से शॉपिंग नहीं की इसलिए DCAR का रुख करते हैं , मैं अपने लिए एक शर्ट खरीद लेता हूँ । पत्नि को अपने मतलब का कुछ वहाँ नहीं मिलता तो दूसरी दुकानों/ शोरूम में जाना होता है । वह भी अपने लिए कुछ खरीद लेती है । मॉल का काम बस इतना ही है, इस बीच कुछ परिचित मिल जाते हैं तो उनसे दुआ सलाम होती है । अब लोअर बाज़ार का रुख़ कतरे हैं और mehru’s के यहाँ गुलाब जामुन का आनंद लेते हैं । इसके बाद कुछ फल और सब्ज़ी की खरीद होती है और वापिस टैक्सी स्टैंड पर। वही Ride With Pride घर भी पहुंचा देती है । इस तरह समय का कुछ भाग बहुत अच्छा कटता है ।
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कोरोना काल की यह fantasy आपको कैसी लगी ?
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