आए दिन हिमाचल के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में हिमाचल के अपने नेताओं के अलावा केंद्रीय सरकार के मंत्रीगण और बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी चुनाव सभाएं कर रहे हैँ और अपने अपने तरीके से मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रहे हैँ. हिमाचल के लिए भविष्य में क्या रोडमैप है इसका खुलासा करने की बजाये अधिकतर केंद्र सरकार का महिमा मंडन और मोदीजी का यशोगान ही सुनने में आ रहा है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ज़रूर वर्तमान मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर की तारीफ़ की है. योगी जी, आशा के अनुरूप केवल भव्य मंदिर तक ही सीमित रह गए हैँ जिसका हिमाचल राज्य अथवा यहाँ की जनता से सीधा कोई सम्बन्ध नहीं है.वैसे चुनाव के लिए यह मुद्दा है ही नहीं.
शिमला ग्रामीण विधान सभा क्षेत्र में बीजेपी ने एक नये चेहरे के रूप में रवि मेहता को उतारा है, जो काफ़ी आशावान हो कर चुनावी सभाएं कर रहे हैँ.एक चुनावी सभा स्मृति ईरानी भी उनके पक्ष में कर चुकी हैँ.
पहले कई वर्ष सुन्नी क्षेत्र कुमारसेन विधानसभा के अंतर्गत रहा पर राजनीतिक दृष्टि से इस इलाके की पूछ पूर्व मुख्यमंत्री स्व. श्री वीरभद्र के यहाँ से चुने जाने के बाद शुरू हुई. कांग्रेस से विधायक विक्रमादित्य सिँह अब दूसरी बार मैदान में हैँ और जनसभाएं कर रहे है .
यह देखना दिलचस्प है कि बीजेपी शिमला ग्रामीण में तो धरतीपुत्र का नारा दे रही है पर यही नारा कसुम्पटी पहुँचते पहुँचते हवा हो जाता है कारण, इस विधान सभा क्षेत्र में बीजेपी के प्रत्याशी सुरेश भारद्वाज को छोड़ कर उन के विरुद्ध खड़े दोनों प्रत्याशी ही धरतीपुत्र हैँ .
मुक़ाबला रोचक और कड़ा रहने वाला है, no cake walk for anyone. यहाँ का वोटिंग पैटर्न अलग किस्म का है. लोग चाहें तो स्वतंत्र प्रत्याशी को जिता दें, पर ऐसा होगा नहीं .
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