विभिन्न मार्गो / साधनों से स्टार प्रचारक देव भूमि में पदार्पण कर इसे और पवित्र कर रहे हैँ, विशेष तौर पर केंद्रिय नेतृत्व और सरकार के प्रतिनिधि समाचार पत्रों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैँ और चुने हुए शब्दों से सज्जित सुर्खियां अपने आप में बहुत कुछ बयान कर रही हैँ. कल गृह मंत्री अमित शाह ने तीन विधानसभा क्षेत्रों में आ कर भाषण दिया.कुछ विशेष कारण से कसुम्पटी को चुना गया. तथापि ऐसा लग रहा था कि चुनाव हिमाचल विधान सभा का न हो कर लोकसभा का है. ख़ैर समर्थक तो तालियाँ पीटेंगे ही.
इस विधान सभा क्षेत्र के लिए बीजेपी प्रत्याशी सुरेश भारद्वाज नये हैँ पूर्व में मंत्री और सांसद रह चुके है . कथित तौर पर उन्हें जिताने की ज़िम्मेदारी केंद्रीय नेतृत्व ले चुका है.
कांग्रेस प्रत्याशी अनिरुद्ध सिँह मिलनसार हैँ और लोगों की सहायता के लिए सदैव तत्पर दीखने के कारण अपने क्षेत्र में बहुत लोकप्रिय हैँ.
सीपीआई एम प्रत्याशी पूर्व में भारतीय वन सेवा अधिकारी रह चुके हैँ और ईमानदारी, कर्तव्य परायणता और कार्यकुशलता के लिए जाने जाते हैँ .
कुल मिला कर मुक़ाबला रोचक रहने वाला है.
शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र में मुक़ाबला त्रिकोणीय ही रहने वाला है. बीजेपी प्रत्याशी संजय सूद मीडिया में करोड़ पति चायवाला के रूप में प्रचारित हो चुके हैँ. चाय वाला सन्दर्भ का कितना जादू चल पाएगा, देखना बाक़ी है . मेरे विचार में सूद बिरादरी उन्हें en bloc समर्थन देने वाली है और काफ़ी संख्या में व्यापारी वर्ग भी . कांग्रेस प्रत्याशी हरीश जनार्था का अपना वोट बैंक है और आकर्षक व्यक्तित्व के चलते समर्थकों की भी कोई कमी नहीं . ऊपरी शिमला के लोग कमोबेश उन्हें ही वोट करने वाले हैँ .
सीपीआई एम प्रत्याशी टिकेंद्र पंवर बुद्धिजीवी लोगों में लोकप्रिय हैँ और पूर्व में शिमला नगर निगम में बतौर उप महापौर अच्छा कार्य अंजाम दे चुके हैँ . शिमला में कार्य रत कर्मचारी केवल शिमला शहरी को ही नहीं बल्कि शिमला ग्रामीण और कसुम्पटी को भी प्रभावित करने वाले हैँ .
मुक़ाबला दिलचस्प रहने वाला है और पेचीदा भी.
गत दो चुनावों में यह सीट उस समय की प्रचलित धारणा के विपरीत by default बीजेपी की झोली में गयी थी.
अभी के लिए इतना ही.....!
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