Friday, November 25, 2016

सुरिन्दर कौर

अपनी जादू भरी आवाज़ से पंजाबी लोकगायन और संगीत को शिखर पर पहुँचाने वाली महान गायिका सुरिन्दर कौर की आज जयंती है। स्वतन्त्रता पूर्व लाहौर रेडियो स्टेशन से अपनी संगीत यात्रा आरंभ करने वाली सुरिन्दर कौर ने न केवल पंजाबी संगीत को घर घर पहुंचाया, बल्कि, शुरुआती दौर में हिन्दी फिल्मों के लिए भी कुछ गीत गाये जो अत्यंत लोकप्रिय हुए। ऐसे ही गीतों में उनका एक गीत 'बदनाम न हो जाए मुहब्बत का फसाना , ओ दर्द भरे आँसुओ आँखों में न आना' आज भी शौक से सुना जाता है। इसके अतिरिक्त ‘तक़दीर की आँधी हम कहाँ और तुम कहाँ’ और ‘आना है तो आ जाओ’ भी उनके लोकप्रिय हिन्दी फिल्म गीत हैं।
मुख्य रूप से उन्हें पंजाबी गीतों के लिए जाना जाता है । कुछ गीत उनने अपनी बहन प्रकाश कौर के साथ भी गाये। ‘ लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया’,’ अजे न वसीं ओए न वस बदला, अजे न वस ओए कालेया’, ‘ जूती कसूरी, पैरीं न पूरी’, ‘ काला डोरिया कुंडे नाल अड़ेयाइ ओए, के छोटा देवरा भाभी नाल लड़ेयाइ ओए’, ‘चन्न कित्थाँ गुजारी आयी रात वे’ , ‘गोरी दियाँ झांझरां’ शोहरत की बुलंदी पर हैं। दो हज़ार से भी अधिक गीतों को अपनी आवाज़ से सजाने वाली सुरिन्दर कौर ने आसा सिंह मस्ताना, हरचरन ग्रेवाल, दीदार संधु और करनैल गिल के साथ भी कई यादगार गीत गाये । उनकी एक बेटी डॉली गुलेरिया भी जानी मानी पंजाबी गायिका है।
सुरिन्दर कौर को पद्मश्री और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। गुरु नानक विश्वविद्यालय ने उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि से भी सम्मानित किया था।
पंजाब की कोकिला के नाम से विख्यात इस महान गायिका को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि !

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