आज विश्व रेडियो दिवस है .आज ही के दिन 1946 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व का पहला रेडियो प्रसारण किया गया था .तब से आज तक रेडियो सूचना , प्रचार , मनोरंजन तथा लोकोपयोगी अन्य सामग्री द्वारा जनजीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आया है व दूर दराज़ के क्षेत्रों में आज भी दुनिया से जुड़ाव का एकमात्र साधन है .इसका एक अतिरिक्त लाभ यह भी है कि टीवी की भांति इस पर पूरा ध्यान केंद्रित नहीं करना पड़ता बल्कि अपना कार्य साथ साथ किया जा सकता है .
रेडियो से मेरा जुड़ाव छः दशक पूर्व हुआ था जब मेरे घर में 1958 में पहली बार रेडिओ सेट आया था । यह एक assembled सेट था जो पिता जी ने किन्हीं सहज राम की शिमला के मिडिल बाजार में स्थित दूकान से 175/- रु. में खरीदा था जो उस समय के लिहाज़ के कोई कम राशि न थी। ब्रांडेड सेट तो और ज़्यादा महंगे रहे होंगे ।स्कूल जाने से पहले ही मैं रेडियो चलाना और स्टेशन बदलना सीख गया था , और कुछ गायकों की आवाज़ से परिचित हो चुका था । बाद के वर्षों में समाचार आदि में रूचि हुई तो देवकी नंदन पांडेय, विनोद कश्यप, उर्मिला मिश्र , हरीश कश्यप अदि के नाम से परिचय हुआ । रेडियो सीलोन के फ़िल्मी गीतों पर आधारित कार्यक्रम विशेषकर, अमीन सायानी द्वारा प्रस्तुत बिनाका गीतमाला अत्यन्त लोकप्रिय थे । विविध भारती का भी मनोरंजन के क्षेत्र में अद्वितीय स्थान था । उर्दू सर्विस और बीबीसी का अपना महत्त्व एवं विशिष्ट स्थान था ।
जालंधर से प्रसारित होने वाले विभिन्न कार्यक्रम भी खूब सुने जाते थे ।
शिमला स्टेशन 1952 में अस्तित्व में आ चुका था । इस से संबद्ध कलावती ठाकुर, प्रेम लता वर्मा, अमर सिंह ठाकुर, अमर नाथ ठाकुर, संतराम शर्मा, शंकर लाल शर्मा, शांता वालिया, अच्छर सिंह परमार, विजय सरस्वती अदि नाम बहुत प्रचलित थे । एक समय के बॉलीवुड अभिनेता विजय कुमार भी आकाशवाणी शिमला से संबद्ध रहे । प्रशासनिक दृष्टि से एस. एस. एस. ठाकुर ने शिमला रेडियो स्टेशन की प्रगति में विशेष भूमिका निभायी ।
गो अब टीवी पर दूरदर्शन के ही अनेक चैनलों और अन्य निजी चेनलों की सहज उपलब्धता के कारण रेडियो थोड़ा पीछे छूट गया लगता है, फिर भी इसके महत्त्व और भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता !
विश्व रेडियो दिवस की शुभकामनाएं !
रेडियो से मेरा जुड़ाव छः दशक पूर्व हुआ था जब मेरे घर में 1958 में पहली बार रेडिओ सेट आया था । यह एक assembled सेट था जो पिता जी ने किन्हीं सहज राम की शिमला के मिडिल बाजार में स्थित दूकान से 175/- रु. में खरीदा था जो उस समय के लिहाज़ के कोई कम राशि न थी। ब्रांडेड सेट तो और ज़्यादा महंगे रहे होंगे ।स्कूल जाने से पहले ही मैं रेडियो चलाना और स्टेशन बदलना सीख गया था , और कुछ गायकों की आवाज़ से परिचित हो चुका था । बाद के वर्षों में समाचार आदि में रूचि हुई तो देवकी नंदन पांडेय, विनोद कश्यप, उर्मिला मिश्र , हरीश कश्यप अदि के नाम से परिचय हुआ । रेडियो सीलोन के फ़िल्मी गीतों पर आधारित कार्यक्रम विशेषकर, अमीन सायानी द्वारा प्रस्तुत बिनाका गीतमाला अत्यन्त लोकप्रिय थे । विविध भारती का भी मनोरंजन के क्षेत्र में अद्वितीय स्थान था । उर्दू सर्विस और बीबीसी का अपना महत्त्व एवं विशिष्ट स्थान था ।
जालंधर से प्रसारित होने वाले विभिन्न कार्यक्रम भी खूब सुने जाते थे ।
शिमला स्टेशन 1952 में अस्तित्व में आ चुका था । इस से संबद्ध कलावती ठाकुर, प्रेम लता वर्मा, अमर सिंह ठाकुर, अमर नाथ ठाकुर, संतराम शर्मा, शंकर लाल शर्मा, शांता वालिया, अच्छर सिंह परमार, विजय सरस्वती अदि नाम बहुत प्रचलित थे । एक समय के बॉलीवुड अभिनेता विजय कुमार भी आकाशवाणी शिमला से संबद्ध रहे । प्रशासनिक दृष्टि से एस. एस. एस. ठाकुर ने शिमला रेडियो स्टेशन की प्रगति में विशेष भूमिका निभायी ।
गो अब टीवी पर दूरदर्शन के ही अनेक चैनलों और अन्य निजी चेनलों की सहज उपलब्धता के कारण रेडियो थोड़ा पीछे छूट गया लगता है, फिर भी इसके महत्त्व और भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता !
विश्व रेडियो दिवस की शुभकामनाएं !
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