काफिया, रदीफ़, मिसरा, ये सब सुन रखा है पर इनकी कैफियत मालूम नहीं .
फिर भी दो उदाहरण जो मुझे बतलाये गए थे , आपकी नज़र हैं :
बदगुमानी इस क़दर कि कोई चूम न ले
वो अपने आँचल से नक्शे पा को मिटाए जा रहे हैं
दावते इश्क है चले आओ आबे रवां की मानिंद
वो अपने आँचल से नक्शे पा को मिटाए जा रहे हैं
बदगुमानी इस क़दर कि कोई चूम न ले
ReplyDeleteवो अपने आँचल से नक्शे पा को मिटाए जा रहे हैं
और कुछ
चाहे हो न हो
लेकिन
इक मासूम तस्वीर-सी खिंच गयी है
आँखों के आगे ...
लफ्ज़ ,
लुभाते हैं ... !!
क्या बात है ,भाई.
ReplyDeleteलगता है बहुत जल्द ही तुम भी हमारी ज़मात में शामिल होने वाले हो.
सलाम.
Mesmerizing couplets !
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