Sunday, May 1, 2011

मई दिवस

" मज़दूर का वेतन उसका पसीना सूखने से पहले उसे मिल जाना चाहिए " , एक साधारण वाक्य जिसे हमें स्कूल के दिनों में अनुवाद के लिए दिया जाता था. बाद में 'श्रम की महिमा ' जैसे शब्दों से भी परिचय हुआ.
एक गीत जो कभी कभी कानों में गूंजता है - खून पसीने की जो मिलेगी तो खाएंगे- आत्मनिर्भर होने और आत्मसम्मान से जीने की प्रेरणा देता है. क्या यह हम सभी का दायित्व नहीं कि मज़दूर सम्मान के साथ अपना जीवन व्यतीत करे और हम मज़दूर को 'मजबूर ' न बनने दें !
आज मई दिवस पर मज़दूर व मज़दूर एकता को सलाम !

2 comments:

  1. .

    RK जी ,

    भावुक कर दिया आपने इस आलेख से। मजदूरों के साथ जितना अन्याय होता है , उतना शायद किसी भी वर्ग के साथ नहीं होता। हमें दिल खोलकर इनके श्रम का पारिश्रमिक देना चाहिए और इनका पसीना सूखने से पहले।

    आपकी संवेदनशीलता को नमन।

    .

    ReplyDelete
  2. मज़दूर का वेतन उसका पसीना सूखने से पहले उसे मिल जाना चाहिए
    बहुत खूब लिखा है,भाई.

    ReplyDelete