Monday, July 4, 2016

ईदगाह : पुनर्पाठ

ईदगाह  मुंशी प्रेमचंद  द्वारा मूल रूप से  उर्दू में  नवाब राय  के नाम से लिखी गयी थी और यह बाल मनोविज्ञान  और  मानवीय संवेदना से परिपूर्ण एक चर्चित  कहानी है । कहानी  का नायक चार वर्ष का  अनाथ  बालक हामिद है जो अपनी दादी अमीना के साथ रहता है ।उसका पिता हैजे का शिकार हो कर जान गंवा देता है और कुछ दिनों बाद उसकी माँ भी किसी अज्ञात बीमारी के कारण अल्लाह मियाँ को प्यारी हो जाती है। हामिद को यही बताया गया है कि माँ- बाप दोनों उसके लिए तोहफ़े लेने गए हैं । नन्हा बालक इसी उम्मीद पर जीता है । आखिर  ईद  का दिन आ जाता है जिसकी प्रतीक्षा, बच्चों, युवाओं , बूढ़ों  यानि हर आयु वर्ग के लोगों को रहती है। दादी अमीना,  हामिद को ले कर चिंतित है  कि ईद के दिन  वह उसके लिए  न नए वस्त्र खरीद पाने की स्थिति में है न कोई उपहार खरीदने की। फिर भी वह तीन पैसे बतौर ईदी उसे देती है ताकि वो मोहल्ले के और बच्चों के साथ  मेले में जा कर  कुछ खा पी ले। शहर में मेले का स्थान गाँव से तीन कोस दूर है। हामिद के पास न ढंग के कपड़े हैं न जूते फिर भी वो खुशी खुशी साथियों के साथ चल पड़ता है और रास्ते में बच्चों से जिन्नों की कहानियाँ सुन कर  आश्चर्यचकित भी होता है । मेले के स्थान पर  तरह तरह की दुकाने सजी हुई हैं, कुछ मिठाइयों की, कुछ खिलोनों की , कुछ बने बनाए कपड़ों की, चूड़ियों की और बर्तनों की ।  और बच्चे  अपनी पसंद का कुछ  अपनी पसंद का कुछ खा पी लेते हैं और मिट्टी के खिलौने,मसलन भिश्ती, पुलिसमैन , वकील, गवालन... खरीदते हैं।कुछ  काठ के घोड़े हाथी की पीठ पर सवार हो कर  चक्कर लगाते हैं तो कुछ हिंडोला झूलते हैं हामिद सब कुछ चुप चाप देखता है और केवल इधर से उधर घूमता है अंत में उसे एक लोहे की दुकान में  चिमटा नज़र आता है। उसकी बाल बुद्धि में अचानक ये विचार आता है कि उसकी दादी की अंगुलियाँ रोटी सेंकते समय अक्सर जल जाया करती हैं , इसलिए चिमटा ले लेना चाहिए। दुकानदार द्वारा कीमत 6 पैसे बताने पर और 3 पैसे में देने के लिए  इंकार किए जाने पर हामिद आगे निकाल जाता है पर दुकानदार उसे आवाज़ दे कर वापिस बुलाता है और 3 पैसे में उसे  चिमटा दे देता है । साथ के बच्चे  चिमटा देख कर हामिद का मज़ाक उड़ाते हैं और अपने खिलोनों को हाथ नहीं लगाने देते या झूठा वादा करते हैं  पर वह हार मानने वालों में  नहीं है और तर्क दे कर कि उसका चिमटा  कंधे से लगा कर बंदूक  और  दोनों हाथों में पकड़ कर  बजाने वाले चिमटे का काम दे सकता है, उन्हें चुप करा देता है  और वैसे भी  लोहे की मजबूती के आगे  मिट्टी के खिलौने क्या है !
घर पहुँच कर हामिद के हाथ मेन चिमटा देख कर अमीना  पहले उसे डांटती है फिर कारण बताने पर उसकी आँखों से अश्रुधारा  फूट  पड़ती है । अचानक  अमीना बालिका बन जाती है और  हामिद  बूढ़ा हामिद , पर यह सब हामिद की समझ से बाहर है ।
 कहानी  में दर्शाई गयी निर्धनता, असहायता , बच्चे की मानसिक परिपक्वता  आदि उद्वेलित करती हैं । आखिर में बताया गया  role reversal कहानी के प्रभाव को दोगुना करता है।



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