आज एशिया उप महाद्वीप के महान कहानीकार सआदत हसन मंटो की पुण्यतिथि है. अपने जीवनकाल में मंटो अपनी रचनाओं के कारण विवादों से भी घिरे रहे और उनकी कहानियों में अश्लीलता के आरोपों के चलते उन पर कई मुक़द्दमे चले, क़ैद और जुर्माने की सजा भी सुनाई गयी जो बाद में अपील में ख़ारिज की गईं । मुक़द्दमे की नौबत उन लोगों के कारण आयी जो या तो prudish मानसिकता के थे या उन्होने इन रचनाओं को केवल सतही तौर पर पढ़ कर ही अश्लील करार दे दिया था ।ज्ञातव्य है कि उसी ज़माने की एक और bold उर्दू लेखिका इस्मत चुगताई भी लगभग उसी समय अपने लेखन में तथाकथित अश्लीलता के आरोपों के चलते अदालती कार्रवाई का सामना कर रही थी।इस्मत चुगताई और मंटो की आपस में बहुत अच्छी मित्रता थी पर वो बाद में मंटो के भारत छोड़ कर पाकिस्तान चले जाने से इतनी आहत और क्षुब्ध हुई कि, उसके बाद उनके बीच खतोखिताबत का भी कोई सिलसिला नहीं रहा ।
विडम्बना ही कहेंगे कि जिस देश को मंटो ने अपनाना चाहा, उसी ने उन्हें नहीं अपनाया और मंटो ने वहां भी निराशा का ही जीवन जीया । ऐसा अपेक्षित भी था कहाँ मंटो का बेबाक लेखन और कहाँ नये नये बने पाकिस्तान का बदला बदला सा सामाजिक और राजनीतिक परिवेश । ऑल इंडिया रेडियो में अपनी कार्यावधि के दिनों को याद करते हुए अपने संस्मरणों में एक और महान लेखक उपेंद्र नाथ अश्क ने सहकर्मी रहे मंटो से अपने love-hate सम्बन्धों का रोचक विवरण भी कहीं प्रस्तुत किया है .
दूसरी ओर, अपनी संस्मरणात्मक पुस्तक 'गंजे फ़रिश्ते' में मंटो ने भी अपने संपर्क में आयी कुछ हस्तियों मसलन, अभिनेता अशोक कुमार, नृत्यांगना सितारा देवी, नाटककार बलवंत गार्गी अदि के बारे में भी रोचक विवरण दिया है।
आज के दिन 1955 में मंटो का देहांत हो गया जबकि अपनी उम्र के 43 वर्ष पूरी करने में भी तीन माह बाकी थे ।
समाज में व्याप्त बुराइयों तथा शोषण का बेबाकी से चित्रण करने वाले इस महान कथाकार को विनम्र श्रद्धांजलि !
विडम्बना ही कहेंगे कि जिस देश को मंटो ने अपनाना चाहा, उसी ने उन्हें नहीं अपनाया और मंटो ने वहां भी निराशा का ही जीवन जीया । ऐसा अपेक्षित भी था कहाँ मंटो का बेबाक लेखन और कहाँ नये नये बने पाकिस्तान का बदला बदला सा सामाजिक और राजनीतिक परिवेश । ऑल इंडिया रेडियो में अपनी कार्यावधि के दिनों को याद करते हुए अपने संस्मरणों में एक और महान लेखक उपेंद्र नाथ अश्क ने सहकर्मी रहे मंटो से अपने love-hate सम्बन्धों का रोचक विवरण भी कहीं प्रस्तुत किया है .
दूसरी ओर, अपनी संस्मरणात्मक पुस्तक 'गंजे फ़रिश्ते' में मंटो ने भी अपने संपर्क में आयी कुछ हस्तियों मसलन, अभिनेता अशोक कुमार, नृत्यांगना सितारा देवी, नाटककार बलवंत गार्गी अदि के बारे में भी रोचक विवरण दिया है।
आज के दिन 1955 में मंटो का देहांत हो गया जबकि अपनी उम्र के 43 वर्ष पूरी करने में भी तीन माह बाकी थे ।
समाज में व्याप्त बुराइयों तथा शोषण का बेबाकी से चित्रण करने वाले इस महान कथाकार को विनम्र श्रद्धांजलि !
No comments:
Post a Comment