“ अभी दिल्ली दूर है ”-जी हाँ मेरा ईशारा किसी महत्वाकांक्षी राजनेता की ओर कतई नहीं जो मन में भारत का राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री बनने का सपना पाले हुए हो । मैं तो सिर्फ एक लोकोक्ति की बात कर रहा हूँ, जिसमे कोई भी मंज़िल दूर होने की बात की गई है। अंग्रेजी में इसे कुछ इस तरह कहा जाएगा
“There is many a slip between the cup and the lip.”
परन्तु हमारे एक अध्यापक महोदय ने हमें इसी भावार्थ का उर्दू में एक शेर सुनाया था :
“किस्मत की खूबी देखिये , टूटी कहाँ कमंद
दो चार हाथ जब कि लबेबाम रह गया ”
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ReplyDeleteअगर ठान लिया जाए तो दिल्ली दूर कहाँ रह जाती है ।
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“किस्मत की खूबी देखिये , टूटी कहाँ कमंद
दो चार हाथ जब कि लबेबाम रह ...
Beautiful couplet.
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सही कहा।
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प्रेम रस की तलाश में...।
….कौन ज्यादा खतरनाक है ?
रजनीश जी , प्रेम रस से परिचय करने के लिए हार्दिक आभार !
ReplyDeletebahut sundar sher.
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