Friday, April 8, 2011

अभी दिल्ली दूर है

अभी दिल्ली दूर है ”-जी हाँ मेरा ईशारा किसी महत्वाकांक्षी राजनेता की ओर कतई नहीं जो मन में भारत का राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री बनने का सपना पाले हुए हो । मैं तो सिर्फ एक लोकोक्ति की बात कर रहा हूँ, जिसमे कोई भी मंज़िल दूर होने की बात की गई है। अंग्रेजी में इसे कुछ इस तरह कहा जाएगा


“There is many a slip between the cup and the lip.”


परन्तु हमारे एक अध्यापक महोदय ने हमें इसी भावार्थ का उर्दू में एक शेर सुनाया था :


किस्मत की खूबी देखिये , टूटी कहाँ कमंद


दो चार हाथ जब कि लबेबाम रह गया ”





4 comments:

  1. .

    अगर ठान लिया जाए तो दिल्ली दूर कहाँ रह जाती है ।

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    “किस्मत की खूबी देखिये , टूटी कहाँ कमंद

    दो चार हाथ जब कि लबेबाम रह ...

    Beautiful couplet.

    .

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  2. रजनीश जी , प्रेम रस से परिचय करने के लिए हार्दिक आभार !

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