अपने समय के लोकप्रिय बॉलीवुड अभिनेता महमूद की आज पुण्यतिथि है । मूल रूप से हास्य कलाकार के रूप में जाने गए महमूद ने दशकों तक सिनेमा प्रेमियों का भरपूर मनोरंजन किया व शुरू में कुछ फिल्मों में प्रमुख भूमिकाओं में भी देखे गए । उन पर फिल्माए गए गीत भी बहुत लोकप्रिय हुए , चाहे वो सांझ और सवेरा फिल्म का ' अजहूं न आए बालमा , सावन बीता जाए....'हो अथवा फिल्म 'पड़ोसन' का मेरे सामने वाली खिड़की में इक चाँद का टुकड़ा रहता है....' हो । अभिनेता आई. एस. जौहर के साथ जुगलबंदी में फिल्म ' जौहर महमूद इन गोवा' जैसी हास्य प्रधान फिल्म में भी कम किया । अपनी हास्य अभिनेता की छवि से हट कर गंभीर भूमिकाओं में भी नज़र आए । 'कुंवारा बाप 'और 'लाखों में एक' फ़िल्में इस बात का प्रमाण हैं । 'कुंवारा बाप' के निर्माता स्वयं महमूद थे ।
संवाद अदायगी की अनूठी शैली उनकी विशेष पहचान थी ।
आज के दिन 2004 में 71 वर्ष की आयु में इनका निधन हुआ ।
महान अभिनेता को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि ।
संवाद अदायगी की अनूठी शैली उनकी विशेष पहचान थी ।
आज के दिन 2004 में 71 वर्ष की आयु में इनका निधन हुआ ।
महान अभिनेता को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि ।
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