Saturday, May 1, 2010

मई दिवस

आज मई दिवस पर एक कविता की पंक्तियाँ याद आ रही हैं -

ओ मजदूर
ओ मजदूर
तू ही सब चीज़ों का कर्ता
तू ही सब चीज़ों से दूर
ओ मजदूर ..........!

और साथ ही निराला की कविता
" वह तोड़ती पत्थर " भी .

1 comment:

  1. तू ही सब चीज़ों से दूर
    ओ मजदूर ..........!

    mazdoor tujhe slaam .....!!

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