Saturday, September 4, 2010

उपेंद्रनाथ अश्क

2010 भी दो तिहाई समाप्त हो चुका है और महान रचनाकार उपेंद्रनाथ अश्क की जन्मशती के बारे हिन्दी साहित्य जगत की चुप्पी समझ से परे है .कविता, कहानी , उपन्यास , नाटक यानि लेखन की सभी विधाओं में प्रभाव पूर्ण ढंग से क़लम चलाने वाले अश्क जी अपने समय के हिन्दी साहित्य के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर रहे हैं . उनका उपन्यास “गिरती दीवारें " उपन्यास लेखन में यदि मील का पत्थर साबित हुआ है तो “बड़ी बड़ी आँखें " और “ एक नन्ही किंदील" भी अपने आप में बेजोड़ हैं .
“ डाची ” कहानी भी कम रोचक नहीं. उनकी कविता “मरुस्थल से " बरबस याद आती है इसलिए भी कि यह कैसा मरुस्थल है जो किसी महान लेखक की याद को हरा भरा रखना तो दूर, पनपने देने में भी अक्षम है ।

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