Thursday, September 25, 2014

मान न मान, मैं तेरा मेहमान

कुछ समय पूर्व ‘अतिथि तुम कब जाओगे’ फिल्म की बहुत चर्चा रही। यों मैंने फिल्म तो नहीं देखी पर शीर्षक से यही लगता है कि बिन बुलाए , अवांछित व एक बार आ कर जाने का नाम न लेने वाले अतिथि या मेहमानों को ले कर ही है । कहते भी हैं , मेहमान 2-3 दिन का होता है , उसके बाद शायद बोझ । कई बार मेहमान तो एक-आध दिन का ही होता है पर अचानक आ धमकना बहुत अखरता है।संचार क्रांति से पूर्व, अक्सर मेहमानों का आगमन अचानक ही होता था । ज़ाहिर है , बिना पूर्व सूचना के पधारे मेहमानों के आगमन पर मेज़बान की कुछ प्रतिक्रिया तो होनी ही है, प्रकट में तो नहीं पर सोच में ।यह प्रतिक्रिया मेहमान के पधारने के समय को ले कर है । वर्षों पूर्व वैसे ही चर्चा के दौरान एक सज्जन ने अपने इलाक़े की बात बताई और तीन तरह की प्रतिक्रिया का खुलासा किया।
1. रात हो चुकी है, भोजन अभी तैयार हो ही रहा है ऐसे में कोई मेहमान आ जाए तो – आई पहुंचे !
2. रात हो चुकी है, भोजन बन चुका है और खाने की प्रतीक्षा है तो आगमन पर- आई ढै ।
3. रात काफी बीत चुकी है, घर के सब सदस्य खानपान से फारिग हो चुके हैं , तब कोई आ जाए तो- आई मुए !

आप का क्या विचार है !

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