Thursday, March 11, 2021

महाशिवरात्रि

 हिमाचल प्रदेश के ज़िला मण्डी का अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि मेला तो जगत प्रसिद्ध है ही पर अन्य स्थानों पर भी शिवरात्रि का अपना महत्व है ।गनीमत है कि इस त्यौहार पर अभी बाजार का साया नहीं पड़ा इसलिए व्यापारीकरण से बिलकुल हट कर इसका केवल सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है । आस्थावान लोगों में व्रत करने का भी चलन है । बबरु, भल्ले, सणसे, आदि न केवल हर घर में बनाये जाते हैं बल्कि शिवजी को अर्पण करने के उपरांत प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है बल्कि पड़ौस या परिजनों के बीच इनका आदान प्रदान भी किया जाता है । ब्याही हुई  बहिन- बेटियों को 'बाँटा' देने और भिजवाने का भी रिवाज रहा है पर पकैन का स्थान अब शायद नकदी ने भी ले लिया है ।

खानपान के अलावा हम रेडियो पर शिवजी के भजन सुन कर बड़े हुए हैं । फ़िल्मी भजन ' शिवजी बिहाने चले, पालकी सजा के भभूति लगा के ' आज भी कानों में गूंजता है । इसके अतिरिक्त  ' शिव भोला भंडारी साधु भोला भंडारी' में भी शिव का स्तुति गान है । ' शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा, शंकर संकट हरणा ...'भी बहुत लोकप्रिय है ।

प्रचलित है कि देवों के देव महादेव थोड़ी सी भक्ति से भी  प्रसन्न हो जाते हैं । दानवों और असुरों तक को इनसे वरदान मिल चुका है , बाद में जिनका संहार देवी के शक्ति रूप को करना पड़ा ।

सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है !

सत्यं शिवं सुन्दरं !!

ॐ नमः शिवाय !!

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