Thursday, August 25, 2016

जन्माष्टमी

गुज़रे दिनों की बात करूँ, तो जन्माष्टमी से 3-4 दिन पूर्व सनातन धर्म सभा शिमला द्वारा निकाले गए जलूस व झांकियों की याद आती है । सनातन धर्म हायर सेकंडरी स्कूल, शिमला, जहां मैंने पाँचवीं से ग्यारहवीं तक शिक्षा प्राप्त की है के द्वारा जलूस में भागीदारी होती थी जो सी. टी.ओ के सामने से हो कर लोअर बाज़ार के दूसरे छोर यानि 'नाज़'- अब शेर-ए-पंजाब रेस्तरां तक जाता था। छात्रों की ओर से पी. टी., लेज़ियम, भांगड़ा आदि में भागीदारी होती थी।
जन्माष्टमी के दिन माँ का व्रत होता था तो हमारा ध्यान सिंघाड़ेका हलवा, बत्थु की खीर, उबले आलू की सूखी सब्ज़ी और ओगले के चीलों पर रहता था ।
ज़्यादा धार्मिक प्रवृत्ति के लोग रात 12 बजे तक भजन कीर्तन करते थे और कुछ घरों में ढँक कर रखे हुए भगवान श्रीकृष्ण के फोटोफ्रेम का अनावरण किया जाता था।

No comments:

Post a Comment