धरा पर झुकी प्रार्थना सदृश
मधुर मुरली सी फिर भी मौन
किसी अज्ञात विश्व की विकल
वेदना दूती सी तुम कौन.........
हिन्दी साहित्य के महान साहित्यकार जयशंकर प्रसाद की आज 80वीं पुण्यतिथि है। हिन्दी कविता के छायावाद स्वरूप के चार प्रमुख स्तंभों में से एक , प्रसाद जी महाकाव्य ‘कामायनी’ के रचयिता के रूप में अपना विशिष्ट स्थान एवं पहचान रखते हैं। एक कवि के साथ साथ वह एक नाटककार, कथाकार, उपन्यासकार व निबंधकार के रूप में भी जाने जाते हैं ।
47 वर्ष की अल्पायु में इस संसार को अलविदा कह कर चले जाने वाले पुरोधा को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि !
मधुर मुरली सी फिर भी मौन
किसी अज्ञात विश्व की विकल
वेदना दूती सी तुम कौन.........
हिन्दी साहित्य के महान साहित्यकार जयशंकर प्रसाद की आज 80वीं पुण्यतिथि है। हिन्दी कविता के छायावाद स्वरूप के चार प्रमुख स्तंभों में से एक , प्रसाद जी महाकाव्य ‘कामायनी’ के रचयिता के रूप में अपना विशिष्ट स्थान एवं पहचान रखते हैं। एक कवि के साथ साथ वह एक नाटककार, कथाकार, उपन्यासकार व निबंधकार के रूप में भी जाने जाते हैं ।
47 वर्ष की अल्पायु में इस संसार को अलविदा कह कर चले जाने वाले पुरोधा को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि !
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