असरार अहमद जिन्हें उर्दू साहित्य जगत में इब्ने सफ़ी के नाम से जाना जाता है, या यों कहिए कि वो इसी नाम से मक़बूल और मशहूर हैं के उपन्यासों की शृंखला ‘जासूसी दुनिया’ के नाम से जानी व पढ़ी जाती रही है .भारत में हिन्दी में छपने वाले उनके उपन्यासों के मुख्य चरित्र कर्नल विनोद और कैप्टन हमीद अपने हैरत अंगेज़ जासूसी कारनामों की वजह से लाखों पाठकों के दिलोजान पर छाए रहते थे. गो पाठ्यक्रम की पुस्तकों से इतर मेरा पहला उपन्यास ‘सलमा सिरीज़’ का एक उपन्यास था जब मैं नवी कक्षा का छात्र था , परंतु बाद में इब्ने सफ़ी की ‘ जासूसी दुनिया का जो चस्का लगा , वो कई बरस बरकरार रहा. अपनी पढ़ने की रुचि जो आज तक क़ायम है का श्रेय मैं इन्हीं उपन्यासों को देना चाहूँगा. भले ही इस प्रकार के उपन्यासों को साहित्य के मर्मज्ञ, साहित्य मानने से संकोच करते हों, और इन्हें हिकारत से ‘लुगदी साहित्य’ या pulp fiction के नाम से पुकारते हों , मेरे लिए आज भी इन पुस्तकों का उतना ही महत्व है जितना तथाकथित गंभीर साहित्य का .
इलाहाबाद में जन्मे इब्ने सफ़ी विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए थे, व जासूसी दुनिया के अलावा और सिरीज़ में भी उपन्यास लिखे और सिरीज़ से हट कर भी व्यंग्य, प्रहसन आदि बहुत कुछ लिखा.
उल्लेखनीय है कि है कि मात्र 52 वर्ष की आयु पाने वाले इस लोकप्रिय लेखक का आज यानि 26 जुलाई को जन्मदिन भी है और पुण्यतिथि भी .
इलाहाबाद में जन्मे इब्ने सफ़ी विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए थे, व जासूसी दुनिया के अलावा और सिरीज़ में भी उपन्यास लिखे और सिरीज़ से हट कर भी व्यंग्य, प्रहसन आदि बहुत कुछ लिखा.
उल्लेखनीय है कि है कि मात्र 52 वर्ष की आयु पाने वाले इस लोकप्रिय लेखक का आज यानि 26 जुलाई को जन्मदिन भी है और पुण्यतिथि भी .
श्रद्धांजलि !
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