हिन्दी सिनेमा जगत के लोकप्रिय अभिनेता संजीव कुमार की आज पुण्य तिथि है। मुंबई की IPTA और उसके बाद इंडियन नेशनल थिएटर से अपने अभिनय जीवन की शुरुआत करने वाले संजीव कुमार ने मात्र 22 वर्ष की आयु में आर्थर मिलर के नाटक ‘ऑल माइ सन्स’ में एक बूढ़े की भूमिका निभा कर अपनी अभिनय प्रतिभा का परिचय दिया । 1960 में ‘हम हिंदुस्तानी’ से अपना फिल्मी सफर आरंभ करके उनने 1965 में पहली बार फिल्म ‘निशान’ में नायक की भूमिका निभाई । फिल्म ‘संघर्ष’ में दिलीप कुमार के साथ अभिनय किया और उसके बाद ‘ ‘खिलौना’ में सदमे के कारण मानसिक सन्तुलन खो चुके एक व्यक्ति का सशक्त अभिनय कर अपना लोहा मनवाया। गुलजार के निर्देशन में ‘कोशिश’, ‘आँधी’ ‘मौसम’, ‘नमकीन’ और ‘अंगूर’ को मिला कर नौ फिल्मों में भी यादगार अभिनय किया ।
उनके द्वारा अभिनीत अन्य फिल्मों में, ‘सीता और गीता’, ‘आप की कसम’, ‘मनचली’, ‘पति पत्नी और वो’ ‘अनोखी रात’, ‘जानी दुश्मन’, ‘त्रिशूल’ , ‘हीरो’, ‘शोले’ , ‘शतरंज के खिलाड़ी’, ‘विधाता’, ‘नया दिन नयी रात’ और ‘राजा और रंक’ प्रमुख हैं ।
अनेकों बार फिल्मफेयर श्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार व श्रेष्ठ सपोर्टिंग अभिनेता पुरस्कार नामित होने व जीतने वाले संजीव कुमार को और भी कई सम्मान मिले, यथा, उन पर एक डाक टिकट भी जारी हुआ तथा सूरत में एक सड़क को भी उनका नाम दिया गया ।
स्टार और सुपर स्टार जैसी प्रचलित अवधारणा से हट कर हर फिल्म में अपनी अपूर्व अभिनय प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले संजीव कुमार फिल्मी दुनिया के होते हुए भी फिल्मी चकाचौंध से कोसो दूर रहे और एक साधारण व्यक्ति का जीवन जीये .किराए के मकान में पूरी ज़िंदगी बिता दी और स्वयं अविवाहित रह कर, दिवंगत हो चुके अपने भाई के परिवार का भरण पोषण किया । ज्ञातव्य है कि अपना बंगला खरीद पाने का एक मात्र सपना भी पूरा न हो सका और मात्र 47 वर्ष की आयु में इस संसार को अलविदा कह गए ।
इस महान कलाकार और अद्भुत व्यक्तित्व को हमारी विनम्र श्र्द्धांजलि !
उनके द्वारा अभिनीत अन्य फिल्मों में, ‘सीता और गीता’, ‘आप की कसम’, ‘मनचली’, ‘पति पत्नी और वो’ ‘अनोखी रात’, ‘जानी दुश्मन’, ‘त्रिशूल’ , ‘हीरो’, ‘शोले’ , ‘शतरंज के खिलाड़ी’, ‘विधाता’, ‘नया दिन नयी रात’ और ‘राजा और रंक’ प्रमुख हैं ।
अनेकों बार फिल्मफेयर श्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार व श्रेष्ठ सपोर्टिंग अभिनेता पुरस्कार नामित होने व जीतने वाले संजीव कुमार को और भी कई सम्मान मिले, यथा, उन पर एक डाक टिकट भी जारी हुआ तथा सूरत में एक सड़क को भी उनका नाम दिया गया ।
स्टार और सुपर स्टार जैसी प्रचलित अवधारणा से हट कर हर फिल्म में अपनी अपूर्व अभिनय प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले संजीव कुमार फिल्मी दुनिया के होते हुए भी फिल्मी चकाचौंध से कोसो दूर रहे और एक साधारण व्यक्ति का जीवन जीये .किराए के मकान में पूरी ज़िंदगी बिता दी और स्वयं अविवाहित रह कर, दिवंगत हो चुके अपने भाई के परिवार का भरण पोषण किया । ज्ञातव्य है कि अपना बंगला खरीद पाने का एक मात्र सपना भी पूरा न हो सका और मात्र 47 वर्ष की आयु में इस संसार को अलविदा कह गए ।
इस महान कलाकार और अद्भुत व्यक्तित्व को हमारी विनम्र श्र्द्धांजलि !
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