Friday, September 13, 2019

हिन्दी दिवस - पूर्व संध्या

कल हिन्दी दिवस है । सभी को अग्रिम शुभकामनाएं !
जब से होश संभाला है , सब कुछ हिन्दी से ही आरंभ हुआ है । राजकीय समारोह भी होंगे हर वर्ष की तरह और हिन्दी में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए सरकारी कर्मचारियों/ अधिकारियों को सम्मानित भी किया जाएगा । उन सभी महानुभावों को भी अग्रिम बधाई। अपना तो मुझे इतना कुछ याद नहीं पर मेरी बेटी के अक्षर ज्ञान का परिचय मुझे उस समय मिला जब पहली बार उसने दीवार पर लिखे किसी विज्ञापन में अक्षर जोड़ कर 'टिकिया' शब्द पढ़ा । मुझे और मेरी पत्नी को बहुत प्रसन्नता हुई । वैसे भी जहाँ तक उत्तर भारत का सम्बन्ध है, सामान्य परिवारों में अक्षर ज्ञान हिंदी से ही आरम्भ होता है ।
भाषा को ले कर मेरी न कोई समस्या है न पूर्वाग्रह अथवा दुराग्रह । टकराव है तो सिर्फ स्नॉबरी या ओढ़े हुए आभिजात्य से , जिसका सम्बन्ध किसी भाषा से न हो कर व्यक्ति की मानसिकता से है जो किसी भी भाषा भाषी में होने की संभावना रहती है । हिंदी का दम भरने वाले जो लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी विद्यालयों में शिक्षा दिलवा रहे हैं, शायद विरोधाभास में जी रहे हैं ।
हिन्दी के अस्तित्व को कोई खतरा नहीं , ऐसा मेरा मानना है ।

2 comments:

  1. हर देश की अपनी-अपनी राष्ट्रभाषा होती हैं, जिस पर उन्हें गर्व होता है लेकिन एक हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी है जिसे अभी तक पूर्ण राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त नहीं हो सका है, बिडम्बना हैं कि जिनकी रोजी रोटी हिंदी के बदौलत चलती हैं वे कई सार्वजानिक मंचों पर हिंदी के बजाय अंग्रेजी भाषा में बात करना सम्मान की बात समझते हैं। अधिकांश लोग समझते हैं हमारी हिंदी भाषा बोलने के लिए अच्छी है लेकिन यह उदरपूर्ति का साधन नहीं है। ...

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  2. जी,भले ही विडम्बना है किंतु लोगों का ऐसा मानना गलत भी नहीं । पर हिंदी जितना सहज रूप से रच बस गयी है, उतनी कोई अन्य भाषा नहीं ।

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