सुप्रसिद्ध व अत्यंत लोकप्रिय बंगला उपन्यासकार , नाटक कार तथा कथाकार स्व. शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की आज जयंती है . ‘देवदास’,’’ ‘श्रीकांत’, ‘चरित्रहीन’ व ‘परिणीता’ जैसे कालजयी उपन्यासों की रचना कर साहित्य जगत में , रवीन्द्रनाथ टैगोर व बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के समान ख्याति अर्जित करने वाले शरतचंद्र ने अपने उपन्यासों में नारी के प्रति एक नए दृष्टिकोण की न केवल स्थापना की बल्कि जोरदार वकालत भी की. उनकी दृष्टि में सतीत्व की अपेक्षा दया , सेवाभाव और ममता जैसे गुण नारी को महान बनाते हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि शरतचंद्र को समाज और लेखक वर्ग का विरोध भी सहना पड़ा और उन पर चरित्रहीनता के आरोप भी लगे । सुविख्यात हिन्दी लेखक विष्णु प्रभाकर ने शरतचंद्र की आधिकारिक जीवनी ‘आवारा मसीहा’ लिख कर न केवल शरतचंद्र का मान बढ़ाया बल्कि उन्हें स्वयं भी बहुत प्रसिद्धि और सम्मान मिला .
बंगला साहित्य शिरोमणि शरतचंद्र जी को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि !
बंगला साहित्य शिरोमणि शरतचंद्र जी को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि !
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