Tuesday, April 4, 2017

माखनलाल चतुर्वेदी

आज ख्यातनाम कवि , लेखक , पत्रकार व स्वतन्त्रता सेनानी स्व. माखनलाल चतुर्वेदी की जयंती है । चतुर्वेदी जी ने असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और जेल भी गए । अपनी कविताओं के माध्यम से भी देश भक्ति की भावना को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया । उनके काव्य में देश-प्रेम , प्रकृति एवं प्रेम के प्रचलित स्वरूप का समावेश मिलता है । अपनी काव्य कृति हिमतरंगिनीके लिए 1955 में प्रथम साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित होने का गौरव भी उन्हें प्राप्त है। 1963 में उन्हें पद्मभूषण से भी सम्मानित किया जिसे उन्होने बाद में राष्ट्रभाषा पर आघात करने वाले किसी विधेयक के विरोध स्वरूप लौटा दिया ।उनकी कविता पुष्प की अभिलाषाअत्यंत लोकप्रिय हुई और देश भर के हिन्दी पाठ्यक्रम में शामिल रही ।स्कूल में पढ़ी ये कविता आज भी ज़ेहन में उभरती है :
चाह नहीं मैं सुरबाला के,
गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी-माला में,
बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं, सम्राटों के शव,
पर, हे हरि, डाला जाऊँ
चाह नहीं, देवों के शिर पर,
चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ!
मुझे तोड़ लेना वनमाली!
उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पथ जाएँ वीर अनेक

इस महान देशभक्त, कवि, साहित्यकार को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि !

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