एक व्यक्ति ने अपने अंधे मित्र को खाने पर बुलाया । कोई भी पकवान आदि परोसते समय उसे दाल सब्जी आदि का नाम ले कर बताया जाता था । आखिर में जब स्वीट डिश की बारी आई तो उसे बताया गया कि यह खीर है । मेहमान मित्र ने कभी खीर नहीं खायी थी न ही नाम सुना था । प्रश्नोत्तर का सिलसिला यों चला –
खीर कैसी होती है ?
सफ़ेद ।
सफ़ेद कैसा होता है ?
बगुले जैसा ।
बगुला कैसा होता है ?
- अपने हाथ की अंगुली थोड़ी झुका कर बगुले की चोंच का आकार दे कर मेज़बान मित्र ने मेहमान मित्र से स्पर्श कराई और कहा -
ऐसा होता है ।
ओहो यह तो टेढ़ी खीर है, मैं न खा पाऊँगा !
मुहावरे का प्रचलन इस घटना से हुआ बताते हैं ।
खीर कैसी होती है ?
सफ़ेद ।
सफ़ेद कैसा होता है ?
बगुले जैसा ।
बगुला कैसा होता है ?
- अपने हाथ की अंगुली थोड़ी झुका कर बगुले की चोंच का आकार दे कर मेज़बान मित्र ने मेहमान मित्र से स्पर्श कराई और कहा -
ऐसा होता है ।
ओहो यह तो टेढ़ी खीर है, मैं न खा पाऊँगा !
मुहावरे का प्रचलन इस घटना से हुआ बताते हैं ।
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