हिन्दी साहित्य में आलोचना के प्रमुख स्तम्भ आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की आज जयन्ती है। आलोचना में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रादुर्भाव उनके द्वारा ही किया गया है ।सूर, तुलसी और जायसी पर उनके द्वारा लिखी गयी आलोचना अप्रतिम है । उनके द्वारा रचित ‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’ भी एक अनुपम धरोहर है । एक श्रेष्ठ निबंधकार के रूप में भी उनका एक विशिष्ट स्थान है । कुछ अनुवाद भी उनके द्वारा किए गए हैं ।
हिन्दी साहित्य के पुरोधा को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि !
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